मैं जब हैदराबाद में था तब की एक घटना याद आ रही है.  मेरे दोनों बेटे केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते थे. एक दिन छोटे बेटे ने एक पत्र लाकर दिया जिसमें दूसरे दिन एक अभिभावक के नाते मुझे प्रिंसिपल या क्लास टीचर से मिलना था. जाने पर मालूम हुआ कि मेरे बेटे ने अपने एक साथी से मारपीट की है और यह अनुशासनहीनता है. पूछने पर मेरे बेटे ने बताया कि वह मुझे बिहारी कहकर चिढ़ा रहा था.

मैंने प्रिंसिपल या क्लास टीचर से पूछा कि इसे अनुशासनहीनता मानेंगे या नहीं? यह उनकी नज़र में शायद अनुशासनहीनता नहीं थी लेकिन मेरे यह कहने पर कि दोनों ने सही नहीं  किया है, मारपीट करना ठीक नहीं है लेकिन किसी के साथ प्रांत के आधार पर भेदभाव करना भी ग़लत है.

मैं सेंट्रल यूनिवर्सिटी का अध्यापक था. मेरे तर्क का प्रभाव था या कुछ और नहीं मालूम. दोनों बच्चों से अपनी गलती मानने और आइंदे ऐसा न करने की सहमति ली गई. बात यहीं ख़त्म हो गई.

gopeshwar singh

जहां रहिए अपने साथ होने वाले अन्याय का प्रतिकार करना सीखिए

घर आने पर बेटा डरा हुआ था कि डांट पड़ेगी लेकिन जब मैंने कुछ नहीं कहा तो एक दिन बेटे ने पूछा कि पापा मारपीट करके मैंने ग़लत तो किया था, फ़िर भी आपने डांटा नहीं? मैंने कहा कि तुमने प्रतिकार किया ,सो अच्छा किया. तुम्हारा प्रतिकार करना मुझे अच्छा लगा, इसलिए नहीं डांटा. हां, तुम्हारे प्रतिकार का तरीक़ा ग़लत था. तुम्हें लिखित शिकायत डालनी चाहिए थी, मारपीट नहीं करनी चाहिए थी.

बात आई गई हो गई. आज बिहार दिवस की आपने याद दिलाई तो यह घटना याद आयी. जहां रहिए अपने साथ होने वाले अन्याय का प्रतिकार करना सीखिए. बिहार दिवस का पहला संदेश यही है.

बिहार के भोजपुरी भाषी इलाक़े में बहुत ही फूहड़ और अश्लीलता से भरे गाने हर समय सुनने को मिलते हैं. तकनीकी रूप से अब हम बिहार के कम दिल्ली के अधिक हैं, फ़िर भी बिहार में अभी आना-  जाना और उससे संबंध तो है ही. इसलिए जब चौक चौराहे से लेकर गाड़ियों-  बसों में जो फूहड़ संगीत बजता है, उससे शर्म आती है. उसे बिहार की पहचान मत बनाइए. बिहार दिवस के दिन उसे न सुनने का संकल्प कीजिए. यह छोटा काम आज ज़रूर कीजिए.

बिहार दिवस की शुभकामनाएं.

यह संदेश किसी एक को नहीं, सभी बिहार वालों के लिए है.

 

(गोपेश्वर सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं. हिंदी भाषा साहित्य के विद्वान हैं.)

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

 

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Delhi University ex professor Gopeshwar Singh writes about Bihar Diwas
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Bihar Diwas का पहला संदेश है, “जहां रहिए अन्याय का प्रतिकार करना सीखिए”
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Hindi
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Bihar Diwas/ pic credit zee
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