डीएनए हिंदीः म्यांमार (Myanmar) में 300 से अधिक भारतीयों को बंधक बना लिया गया है. भारत सरकार को कोशिशों के बाद इनमें से करीब 30 लोगों को सुरक्षित वापस निकाल लिया गया है. बाकी लोगों को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं. यह जानकारी बुधवार को भारतीय दूतावास ने ट्वीट करके दी है. विदेश मंत्रालय ने साथ ही भारतीय नागरिकों को नौकरी को लेकर लुभाने वाली ऐसी कंपनियों से सचेत रहने का भी सुझाव दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा, ‘‘जहां तक दक्षिण पूर्वी म्यांमार के म्यावाड्डी क्षेत्र में बंधक बनाये गए भारतीयों का सवाल है, हम इस बात से अवगत हैं कि थाईलैंड में आईटी कंपनियां रोजगार के लिये भारतीय की भर्ती करती हैं और जिन्हें म्यांमार ले जाया जाता है.’’
मामला क्या है?
म्यांमार के म्यावाडी में बंधक बनाए में 300 से अधिक भारतीयों को बंधक बना लिया गया है. इनमें से अधिकांश केरल के रहने वाले हैं. इन्हें थाइलैंड में नौकरी का वादा कर साइबर क्राइम में धकेल दिया गया है. पीड़ित के अनुसार, जबसे मीडिया में म्यांमार में बंधक बनाए गए भारतीयों की खबर चल रही है, तबसे उन्हें दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया जाता है. पीड़ित और अन्य बंधकों को डर है कि कहीं उन्हें भी न दूसरी जगह भेज दिया जाए.
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पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक लोगों को काफी टॉर्चर किया जा रहा था. साइबर क्राइम से इनकार करने पर उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है.म्यांमार में 'बिलियन डॉलर कैसिनो और टूरिज्म कॉम्प्लेक्स' को श्वे कोको (Shwe Kokko) कहा जाता है जिसका मालिक चाइनीज बिजनसमैन शी जीजियांग है. एक अगवा किए गए केरल युवक ने बताया कि कैंप ऊंची ब्राउंडी वाली दीवारों से घिरा है और वहां स्निपर राइफल के साथ गार्ड तैनात रहते हैं. उन्हें बिना भुगतान के एक दिन में 16 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. टॉर्चर और कुपोषण के अलावा वे गोली से मारे जाने के डर से ट्रॉमा में हैं. उनका पासपोर्ट सीज कर लिया गया है और उनके फोन इस्तेमाल करने पर भी कई तरह का प्रतिबंध है.
इनपुट- एजेंसी
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बंदूक का डर, इलेक्ट्रिक शॉक... दिल दहला देगी म्यांमार में बंधक भारतीयों के टॉर्चर की कहानी