'पोलियो पॉल' के नाम से मशहूर पॉल एलेक्जेंडर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. बीमारी के चलते पॉल पिछले 72 सालों से लोहे के फेफड़ों से सांस ले रहे थे. सिर्फ 6 साल की उम्र में पॉल को पोलियो हो गया था. इस बीमारी ने पॉल की जिंदगी में ऐसे हालात पैदा कर दिए जिसने उन्हें चर्चा का विषय बना दिया. संघर्ष से भरा जीवन होने के बावजूद पॉल ने कभी हार नहीं मानी. पॉल ने कभी भी अपने हालात के सामने घुटने नहीं टेके. 72 साल तक चुनौतियों से जूझने के बाद पॉल ने 78 साल की उम्र में मंगलवार को आखिरी सांस ली.
पॉल अलेक्जेंडर को 6 साल की उम्र में ही पोलियो हो गया था. ये बात 1940 की है जब अमेरिका में पोलियो का कहर था. पोलियो होने के बाद उन्हें लोहे के एक फ्रेम के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी कारण पॉल अलेक्जेंडर, 'पोलियो पॉल' के नाम मशहूर हो गए. अलेक्जेंडर की इस बीमारी के कारण 1952 में उनके गर्दन के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. इस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि वह 72 वर्षों से अधिक समय तक लोहे के फेफड़े के अंदर ही रहे.
ये भी पढ़ें-Namo Bharat ट्रेन का वीडियो हुआ Viral, पीएम मोदी बोले- Great video
क्यों ली लोहे के फेफड़ों की मदद?
अमेरिका के पॉल अलेक्जेंडर की बीमारी का पता लगने के बाद उनके माता-पिता उन्हें टेक्सास स्थित अस्पताल ले गए. वहां इलाज के दौरान पता चला कि उनके फेफड़े पूरी तरह से खराब हो चुके थे. इसके बाद उनके गर्दन के निचले हिस्से ने भी काम करना बंद कर दिया. ऐसी स्थिति में उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी. पॉल की स्थिति को देख डॉक्टरों ने पहले तो कहा कि उनकी जान बचा पाना मुश्किल है. इसके बाद, एक दूसरे डॉक्टर ने उनके लिए लोहे की मशीन से आधुनिक फेफड़ों का आविष्कार किया.
बता दें कि पॉल के शरीर का पूरा हिस्सा मशीन में रहता था. सिर्फ उनका चेहरा बाहर दिखाई देता था. जानकारी के मुताबिक मार्च 2023 में उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तरफ से दुनिया में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले आयरन फेफड़े वाला मरीज घोषित किया गया था.
वकील बन गए थे पॉल
पॉल की महत्वाकांक्षाओं ने कभी भी उनके हालात के आगे घुटने नहीं टेके. उन्होंने सांस लेने की तकनीक सीखी जिसके बाद उन्हें कुछ घंटों के लिए उस मशीन से निकलने की अनुमति मिलती थी. उन्होंने इस दौरान अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की और 30 सालों तक कोर्ट रूम वकील के रूप में काम किया. आपको बता दें इस दौरान पॉल ने अपनी आत्मकथा भी लिखी. इस किताब का नाम 'थ्री मिनट्स फॉर ए डॉग: माई लाइफ इन ए आयरन लंग' है.
देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.
DNA हिंदी अब APP में आ चुका है.. एप को अपने फोन पर लोड करने के लिए यहां क्लिक करें.
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.idpl.dna&pcampaignid=web_share
- Log in to post comments
72 साल तक लोहे के फेफड़ों से सांस लेते रहे Paul Alexander, आखिर में इस बीमारी ने ले ली जान