मंगल पांडेय: 1857 के विद्रोह का वह हीरो जिसने अंग्रेजों पर चलाई थी पहली गोली

बैरकपुर. अंग्रेज सैनिकों की ऐसी छावनी न जहां न तो विद्रोह की ज्वाला भड़की थी, न ही कभी क्रांतिकारियों के हौसले बुलंद हुए. 1857 में भड़की क्रांति की पटकथा यहीं से लिखी गई.

'तुम कहीं के तुर्रम खां हो क्या!', क्यों कहा जाता है ऐसा, जानें कौन थे तुर्रम खां

1857 की क्रांति के बारे में बात होती है तो दिल्ली, मेरठ, लखनऊ, झांसी और मैसूर का जिक्र आता है, लेकिन हैदराबाद का नाम नहीं आता है.