1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जब जंग छिड़ी थी तब भारत में एक अजीब स्थिति पैदा हो गई थी. हाल ये था कि जब एक खबर पाकिस्तान की ओर से आई थी तो लोग संशय में पड़ गए थे क्योंकि मामला भारत के एक यूनियन मिनिस्टर और उनके बेटे से जुड़ा था.

असल में युद्ध के दौरान जब यह पता चला था कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शाहनवाज खान का बेटा महमूद नवाज अली पाकिस्तानी सेना में एक बड़ा अफसर है. उस समय शाहनवाज खान लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में केंद्रीय कृषि मंत्री के पद पर थे और उन्होंने पहले आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल के रूप में भी काम किया था.

नेता जी की फौज का हिस्सा थे शाहनवाज 

शाहनवाज खान की कहानी बहुत ही रोचक है. उनका जन्म पाकिस्तान (तब अविभाजित भारत) के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई वहीं से की और बाद में ब्रिटिश सेना में अफसर बन गए. लेकिन जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया, तो शाहनवाज खान ने उसमें शामिल होने का फैसला किया.

आजाद हिंद फौज में शामिल होने के कारण उन्हें अंग्रेजों ने बंदी बना लिया और दिल्ली के लाल किले में रखा. बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. 1947 में देश के बंटवारे के बाद शाहनवाज खान भारत आ गए और जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें रेलवे और परिवहन उपमंत्री बनाया.

शाहनवाज खान चार बार मेरठ से सांसद चुने गए. उनकी सादगी और ईमानदारी की वजह से मेरठ जैसे संवेदनशील शहर में कभी कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ था और उनके अंदर देश भक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा था, ये सभी जानते थे.

1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो बेटा पाक आर्मी का हिस्सा था

जब 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा, तो शाहनवाज खान के बेटे महमूद नवाज अली के पाकिस्तानी सेना में बड़े अफसर होने की जानकारी सामने आई. इस पर विपक्षी पार्टियों ने शाहनवाज खान से इस्तीफा देने की मांग की. 

तब लाल बहादुर शास्त्री ने किया था दखल

विपक्ष के भारी दबाव के बाद भी तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने उनका बचाव किया और इस्तीफा लेने से मना कर दिया था. तब शास्त्रीजी ने कहा कि अगर शाहनवाज खान का बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अफसर है, तो इसमें उनकी क्या गलती है? यह फैसला शास्त्री की निष्पक्षता और शाहनवाज खान की ईमानदारी का प्रमाण था.

आज भी शाहनवाज का परिवार पाकिस्तानी अफसर हैं

आज भी शाहनवाज खान के परिवार के लोग पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर हैं. उनके भतीजे लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख बने थे. शाहनवाज खान की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और ईमानदारी के साथ काम करने से ही सफलता मिलती है.

हरिद्वार में हैं शाहनवाज की सहेजी विरासत 

शाहनवाज खान की संपत्तियां हरिद्वार के पास थीं और उनके परिवार में उनकी कृषि भूमि और अन्य संपत्तियों को लेकर विवाद भी हुआ. लेकिन उनकी विरासत आज भी एक सच्चे देशभक्त और ईमानदार नेता के रूप में जीवित है.

उनकी कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि देशभक्ति और निष्ठा केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि वे हमारे कार्यों और निर्णयों में प्रतिबिंबित होती हैं. शाहनवाज खान का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और ईमानदारी के साथ काम करने से ही सफलता मिलती है और देश के प्रति निष्ठा सबसे ऊपर होनी चाहिए.

अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकx,   इंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से. 

Url Title
When Indo-Pak war started in 1965, son of Indian Union Minister was in the Pakistani army officer know what former PM Lal Bahadur Shastri did then?
Short Title
भारत-पाक जंग में जब पता चला था भारतीय मंत्री का बेटा पाकिस्तानी सेना में है
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
भारत-पाकिस्तान युद्ध के तथ्य(प्रतिकात्मक तस्वीर है जो एआई से जेनरेट हुई है)
Caption

भारत-पाकिस्तान युद्ध के किस्से (प्रतिकात्मक तस्वीर है जो एआई से जेनरेट हुई है)

Date updated
Date published
Home Title

भारत-पाक जंग में जब पता चला था भारतीय मंत्री का बेटा पाकिस्तानी सेना में है, जानें फिर क्या हुआ?

Word Count
582
Author Type
Author
SNIPS Summary
indian minister son was in Pakistani Army when indo pak war begun in 1965