भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. पांच वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद इस साल यानी 2025 में कैलाश मानसरोवर की पवित्र तीर्थयात्रा पुनः शुरू होने जा रही है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शनिवार को यह घोषणा की. इसके अनुसार यह यात्रा 30 जून से अगस्त 2025 तक चलेगी.
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं. विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि यह यात्रा 30 जून से अगस्त 2025 के बीच होगी. कुल 750 तीर्थयात्रियों को 15 समूहों (प्रत्येक समूह में 50 लोग) में विभाजित किया जाएगा और वे उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे और सिक्किम में नाथू ला दर्रे के माध्यम से तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का दौरा करेंगे. इसके लिए kmy.gov.in पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है.
यात्रा का प्रबंधन विदेश मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) द्वारा किया जाएगा. इसलिए विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर बताया है कि इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से अगस्त 2025 तक चलेगी. इस तीर्थयात्रा में कुल 750 तीर्थयात्री भाग लेंगे, जिन्हें 15 समूहों (प्रत्येक समूह में 50 लोग) में विभाजित किया जाएगा.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो मुख्य मार्ग हैं:
उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा और सिक्किम में नाथू ला दर्रा. जिसमें तीर्थयात्रियों के पांच समूह उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के माध्यम से तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा करेंगे और दस समूह सिक्किम में नाथू ला दर्रे की यात्रा करेंगे. यात्रा के लिए पंजीकरण शुरू हो गया है और इच्छुक तीर्थयात्री kmy.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
आवेदकों का चयन कंप्यूटर आधारित, पारदर्शी और लिंग-संतुलित पद्धति से किया जाएगा. कैलाश मानसरोवर यात्रा का इलाका बहुत कठिन है और मौसम भी चुनौतीपूर्ण है, इसलिए यात्रा के लिए फिटनेस टेस्ट अनिवार्य है. आवेदक की आयु 70 वर्ष से कम होनी चाहिए, तथा उसके पास 1 सितंबर 2025 से कम से कम 6 महीने की वैधता वाला पासपोर्ट होना चाहिए.
कैलाश मानसरोवर का अधिकांश क्षेत्र तिब्बत में है. चीन तिब्बत पर अपना अधिकार जताता है. कैलाश पर्वत श्रृंखला कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है. इस क्षेत्र में ल्हा चू और झोंग चू नामक दो स्थानों के बीच एक पर्वत है. इस पर्वत पर दो जुड़ी हुई चोटियाँ हैं. इनमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है. इस शिखर का आकार विशाल शिवलिंग जैसा है. यह स्थान उत्तराखंड के लिपुलेख से मात्र 65 किलोमीटर दूर है. वर्तमान में कैलाश मानसरोवर का एक बड़ा क्षेत्र चीन के नियंत्रण में है. इसलिए यहां जाने के लिए चीन से अनुमति लेनी पड़ती है.
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं. यही कारण है कि यह हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र स्थान है. जबकि जैन धर्म में मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था. 2020 से पहले हर साल लगभग 50 हजार हिंदू भारत और नेपाल के रास्ते धार्मिक तीर्थयात्रा पर जाते थे. यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए kmy.gov.in पर लॉगइन कर देख सकते हैं.)
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Kailash Mansarovar Yatra
पांच साल बाद फिर शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा, कब और कैसे जा सकते हैं जान लें नियम?