डीएनए हिन्दी : अजातशत्रु बिम्बिसार की दूसरी रानी वैदेही के बेटे थे. पिता ने अपने पुत्र का नामकरण बेहद स्नेह से किया था. पिता को स्वप्न में भी यह जानकारी नहीं होगी कि जिसका नाम वे अजातशत्रु रख रहे हैं, वह एक दिन उनका ही शत्रु होगा... हाँ, मगध के महान राजाओं में से एक अजातशत्रु पर यह आरोप है कि वे पितृहन्ता थे यानि अपनी पिता की मृत्यु का कारण थे. हालाँकि इसमें दो मत हैं. जैन मत के अनुसार अजातशत्रु ने केवल बिम्बिसार को कैद किया था जहाँ बिम्बिसार ने अपनी हत्या कर ली. बौद्ध मत कहता है कि अजातशत्रु ने पिता ने हत्या की थी.
बिम्बिसार के बाद की विजय-यात्रा
पिता बिम्बिसार ने जहाँ अंग को युद्ध के सहारे और कोसल को वैवाहिक सम्बन्ध के ज़रिये हासिल किया था, अजातशत्रु ने क़दमों को कुछ और बढ़ाते हुए लिच्छवी प्रदेश को भी अपने राज्य में शामिल किया . बिम्बिसार की मृत्यु के बाद कोसल नरेश ने काशी को मगध से वापस छीन लिया जिसे अजातशत्रु ने जीत कर वापस हासिल किया.
अजातशत्रु के शासकीय परिक्षेत्र में आने वाले राज्य क्रमशः मगध, अंग, कोसल,काशी, वज्जि, लिच्छवी जैसे जनपद थे. यह माना जाता है कि अजातशत्रु ने भारत के लगभग चालीस प्रतिशत भूभाग पर अधिकार कर लिया था.
कई ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार अजातशत्रु बुद्ध के समकालीन थे. कहानियों के अनुसार बुद्ध के परिनिर्वाण के पश्चात अजातशत्रु ने उनकी अस्थियों को प्राप्त करने की हरसंभव कोशिश की और बाद में राजगीर (तत्कालीन राजगृह) की पहाड़ियों पर स्तूप का निर्माण करवाया. वे बौद्ध धर्म सबसे मजबूटी प्रारंभिक संरक्षकों में से एक थे.
पिता के हत्यारों का वंश
अजातशत्रु के सम्पूर्ण शासनकाल को लगभग बत्तीस सालों का माना जाता है. राज्य को अपने अधीन करने का उनका काल 491 ईशा पूर्व का माना जाता है, जिस पर वे लगभग 460 ईशा पूर्व में हुई अपनी मृत्यु तक काबिज़ रहे. अजातशत्रु की हत्या उनके पुत्र उदयभद्र ने की थी. इन हत्याओं की वजह से ही हर्यक वंश को पितृहन्ता वंश भी कहा जाता है.
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