डीएनए हिन्दी: बीजेपी ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में बड़ी बाजी मारी है. प्रदेश में दो खेमों में बंटी हिन्दुत्व की राजनीति (Hindutva Politics) को बहुत हद तक एक साथ करने में सफल रही है. पार्टी लंबे समय से महाराष्ट्र की बाजी पलटने की कोशिश में थी. अंतत: उसे गुरुवार को सफलता मिली. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी (BJP) ने सामाजिक समीकरण को भी साधने की कोशिश की है. शिंदे संख्या बल और सामाजिक रूप से ताकतवर मराठा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, इसका फायदा आने वाले समय में दोनों (शिंदे गुट और बीजेपी) को मिलने वाला है. वहीं इस सामाजिक समीकरण से प्रदेश के मराठा क्षत्रप शरद पवार और उनकी पार्टी एनसीपी को नुकसान हो सकता है. बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपनी रणनीति को कैसे अंजाम दिया आइए समझते हैं.
महाराष्ट्र का बदलाव कितना महत्वपूर्ण था इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पूरी रणनीति की जानकारी आखिरी वक्त तक पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक को नहीं थी. बीजेपी एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही थी. प्रदेश स्तर पर किसी को भी इसकी भनक नहीं लग रही थी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र की सरकार के गठन के केंद्र रहे देवेंद्र फडणवीस को भी इसकी भनक नहीं लगी कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने वाले हैं. उन्हें आखिरी मौके पर केंद्रीय नेतृत्व से संदेश मिला कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही होंगे. सूत्रों की मानें तो यह भी कहा गया कि इसकी घोषणा भी आपको (देवेंद्र फडणवीस) ही करनी है.
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केंद्र की रणनीति को अमलीजमा पहनाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने इसकी घोषणा की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि नई सराकर में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही होंगे और वह खुद सत्ता से बाहर रहेंगे. इस घोषणा के तुरंत बाद बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सामने आए. उन्होंने फडणवीस निर्देश दिया कि आप न सिर्फ सरकार में शामिल हों, बल्कि उपमुख्यमंत्री भी बनें.
शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की पीछे की खास वजह थी. बीजेपी चाहती है कि शिवसेना महाराष्ट्र में हमेशा के लिए कमजोर हो जाए. साथ ही बीजेपी शिंदे को सीएम बनाकर मराठवाड़ा इलाके में एनसीपी और कांग्रेस के प्रभाव को कमजोर करना चाहती है. देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाकर बीजेपी ने विदर्भ का भी ख्याल रखा है. प्रदेश के दोनों प्रभावशाली इलाकों का बीजेपी ने ख्याल रखा है. साथ ही बीजेपी जानती है कि अगर महाराष्ट्र में हिंदुत्व की राजनीति अकेले करनी है तो उसे किसी भी कीमत पर ठाकरे परिवार को कमजोर करना होगा. शायद इसी रणनीति की वजह से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बनाया गया है.
फिलहाल महाराष्ट्र में बीजेपी के इस दांव से सबसे बड़ी समस्या उद्धव ठाकरे के लिए खड़ी हो गई है. अब उद्धव के सामने बालासाहब ठाकरे की विरासत और शिवसेना को अपने पास बनाए रखने की चुनौती बढ़ गई है.
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महाराष्ट्र की नई सराकर के बहाने बीजेपी ने पूरे देश में एक और संदेश दे दिया है. बीजेपी इस संदेश को फैलाने में सफल रही है कि जो भी पार्टी कांग्रेस और उससे जुड़ीं पार्टिोयों के खिलाफ है बीजेपी उसके साथ है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसको भुनाने का प्रयास करेगी. बीजेपी को उम्मीद है कि अगले लोकसभा चुनाव में भी उसे इसका बड़ा लाभ मिलने जा रहा है. ध्यान रहे कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं. बीजेपी इन चुनावों में भी सफलता की उम्मीद लगाए बैठी है.
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बीजेपी ने यूं रचा महाराष्ट्र का 'चक्रव्यूह', फाइनल रणनीति से देवेंद्र फडणवीस भी थे अंजान