डीएनए हिंदी: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के कुलपति योगेश सिंह ने गुरुवार को कहा कि ‘कट-ऑफ’ प्रणाली ने सभी छात्रों को समान अवसर उपलब्ध नहीं कराया, लेकिन CUET समान मानदंडों पर उनकी परख करेगा. साथ ही, उन छात्रों के लिए नुकसानदेह नहीं होगा जिन्होंने कड़ाई से अंक देने वाले परीक्षा बोर्ड से पढ़ाई की है.
देश भर में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) का पंजीकरण बुधवार (छह अप्रैल) से शुरू हो गया है.
योगेश सिंह ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में कहा, "CUET एक पारदर्शी, प्रवेश परीक्षा आधारित प्रणाली है और हर छात्र को समान अवसर दिया जाएगा. पूर्ववर्ती प्रणाली (कट-ऑफ) छात्रों को समान अवसर नहीं दे रही थी."
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि पूर्ववर्ती प्रणाली ने उन छात्रों को अनुचित लाभ प्रदान किया, जिन्होंने उन बोर्ड से पढ़ाई की थी जो उदारतापूर्वक अंक देते हैं. योगेश सिंह ने कहा कि सभी छात्रों का आकलन समान मानदंडों पर किया जाना चाहिए.
योगेश सिंह ने कहा, "पूर्ववर्ती प्रणाली उन छात्रों के अनुकूल नहीं थी जो (अंक देने के मामले में) कड़े या संयत बोर्ड से आते हैं. भारत जैसे देश में 30 से 40 राज्य (परीक्षा) बोर्ड हैं, प्रत्येक बोर्ड का अपना अनूठापन है और हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन छात्रों का आकलन समान मानदंडों पर होना चाहिए."
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि CUET ‘‘कोचिंग संस्कृति’’ को बढ़ावा देगा और उन छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा, जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अलावा अन्य बोर्ड से आते हैं क्योंकि प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम NCERT पाठ्यक्रम के अनुरूप होगा.
योगेश सिंह ने कहा, "एक विश्वविद्यालय के तौर पर हमारा उद्देश्य यह है कि हमें समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि छात्रों को कोचिंग कक्षाओं की जरूरत पड़ेगी क्योंकि प्रश्नपत्र उन छात्रों के लिए आसान होगा जिन्होंने 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम की पढ़ाई अच्छी तरह से की होगी."
NCERT पाठ्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा कि ज्यादातर छात्र 12वीं कक्षा में इसी पाठ्यक्रम की पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा, "केवल वक्त ही बताएगा (प्रवेश परीक्षा किस तरह सफल होगी). लेकिन NCERT सही विकल्प है क्योंकि व्यापक स्तर पर इसका अध्ययन किया जाता है." योगेश सिंह ने यह भी कहा, "CUET कराने का यह सही समय है."
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