डीएनए हिंदी: SRS Report on Death due to Medical Negligence- कोरोना के दौरान हमने देश के मेडिकल हालात खूब अच्छी तरह से देख लिए, अस्पतालों की मनमानी, ऑक्सीजन की कमी, पैसों का खेल काफी कुछ, जिसकी वजह से हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. किसी ने अपनों को खोया तो कोई किसी और के गम में रोता नजर आया और अब (Sample Registration System) ने अपनी रिपोर्ट में इसपर मुहर भी लगा दी. देश में मरने वाला हर पांचवां इंसान मेडिकल की लापरवाही से मर रहा है. इस मामले में ओड़िशा और कर्नाटक सबसे बदतर हालात में है और पंजाब, केरल, हिमाचल के हालात थोड़े बेहतर हैं.
आईए इन आंकड़ों पर नजर डालते हैं
Sample Registration System की हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर पांच में से एक व्याक्ति को मरने से पहले मेडिकल की पूरी मदद नहीं मिल पाती. हैरानी की बात है कि इस मामले में दक्षिण भारत के कई राज्य पिछड़े हैं, उनके हालात खराब बताए गए हैं, जबकि अब तक दक्षिण भारत के अस्पलात इलाज के लिए बेहतर माने जाते रहे हैं. SRS की रिपोर्ट में सिर्फ मौत से पहले ली जाने वाली मेडिकल मदद के बारे में नहीं बताया गया है, बल्कि राज्य विशेष में अलग अलग स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभता और उन पर लोगों के भरोसे के बारे में भी बताया गया है.
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कैसे दर्ज होते हैं आंकड़ें
SRS की Statistical Report 2020 में डेमोग्राफिक, प्रजनन दर, मृत्यु दर,जन्मदर इत्यादि का राज्य के हिसाब से अनुमान लगाया जाता है. SRS दुनिया के सबसे बड़े सर्वे में से एक है. ताजा सर्वे 84 लाख लोगों का सैंपल पर आधारित है. SRS सर्वे में ये कई अन्य आंकड़ों के साथ ये भी दर्ज किया जाता है किसी भी मृत व्याक्ति को मरने से पहले कोई मेडिकल मदद मिली या नहीं और मिली भी तो किस प्रकार की थी.
साल 2004 से पहले इस सैपंल सर्वे में तीन कैटगरी थी. संस्थागत (Institutional), संस्थागत के अलावा (Other than Institutional) और कोई मेडिकल मदद नहीं (No Medical Attention). इसके बाद से सरकारी अस्पताल(Govt Hospital), निजी अस्पताल (Private Hospital) , प्रशिक्षित पेशेवर (Qualified Professional) और अप्रशिक्षित एवं अन्य (Untrained Functionary & Others) नाम से चार कैटगरी बना दी गई हैं.
SRS में आंकड़े मौत के बाद दर्ज किए गए है तो ये माना जा सकता है आमतौर पर पीड़ित व्याक्ति की स्थिति गंभीर रही होगी. ऐसी अवस्था में अगर व्याक्ति के परिजन उसे जो भी मेडिकल मदद दिला पाए उससे उस राज्य की मेडिकल सेवाओं की सुलभता और लोगों के उस पर विश्वास के बारे में एक अंदाजा देते हैं.
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हर पांचवें मृत व्यक्ति को उचित मेडिकल मदद नहीं
Sample Registration System की कुछ दिन पहले जारी रिपोर्ट बताती है कि देश में करीब करीब 5 में से एक व्यक्ति को मौत से पहले सही मेडिकल मदद नहीं मिल पाती है.
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करीब एक तिहाई लोग (28.9%) मौत से पहले सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं. वहीं निजी अस्पतालों में जाने वालों की संख्या करीब 18.9 % है. इसके अलावा किसी अन्य विशेषज्ञ की मदद लेने वालों की तादात भी एक तिहाई (33.2 %) है. वहीं मरने से पहले Untrained Functionary या अन्य की मदद लेने वाले लोगों का प्रतिशत 18% है.
दक्षिण भारत के राज्यों की स्थिति भी खराब
मौत से पहले अप्रशिक्षित व्यक्ति की मदद पाने लोगों के आंकड़े अगर राज्यवार देखें तो ओड़िशा (35.6%) की स्थिति सबसे खराब है. मगर हैरानी की बात ये है कि इस पैमाने पर देश के कई बेहतर आधारभूत सरंचना वाले राज्य भी कुछ बहुत पिछले राज्यों की सूची के साथ खड़े हैं जैसे कर्नाटक (32.5 %), तमिलनाडू (30.5%), तेलंगाना (19.7 %) और आंध्र प्रदेश(18.9 %)की स्थिति इस पैमाने पर राष्ट्रीय औसत से खराब है. झारखंड (32%), छत्तीसगढ़ (31.9 %), बिहार(25.2%) के आसपास ही है.
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वहीं मध्य प्रदेश (16.5%), राजस्थान (14.9 %), और महाराष्ट्र (12.3%) और उत्तर प्रदेश(9.9%) की स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. वहीं अप्रशिक्षित लोगों से सबसे कम मेडिकल मदद लेने वाले राज्यों में पंजाब (2.4 %), केरल (3.4%), हिमाचल प्रदेश (3.4 %), उत्तराखंड (7.1%), दिल्ली (8%) और गुजरात (9%) शामिल हैं.
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सरकारी अस्पतालों में मेडिकल मदद
SRS के आंकड़ें बताते हैं कि मेडिकल मदद के लिए सरकारी अस्पतालों का रुख करने वालों लोगों में हिमाचल प्रदेश (51.8%) पहले नम्बर पर है. दूसरे नम्बर पर दिल्ली (50.5%) है. वहीं केरल (43.3 %), जम्मू कश्मीर (43.2%), मध्य प्रदेश (38.3%), राजस्थान (35.8%), पश्चिम बंगाल (34 %), उत्तराखंड (32.8 %),कर्नाटक (32.2%), महाराष्ट्र (31%), ओड़िशा (30.7 %) और उत्तर प्रदेश की स्थिति राष्ट्रीय औसत (29.9 %) से बेहतर है.
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Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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