डीएनए हिंदीः क्या आपको पता है कि बच्चों को फलों का रस देने के लिए क्यों मना किया जाता है. इसका मतलब ये नहीं कि बच्चों को फल ही नहीं खिलाना चाहिए. बच्चों को रस की जगह साबुत फल खिलाना चाहिए. वैसे, साबूत फल बच्चों को ही नहीं बड़े लोगों के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर चंद्रशेखर झा ने बच्चों को फलों के रस और साबुत फल दिए जानें पर कई ऐसी जानकारी दी है जिसे शायद ही आप जानते होंगे. अमूमन लोग बच्चों को फल न खाने पर उसका जूस दे देते हैं या बीमारी में फलों का जूस पिलाते रहते हैं. डॉक्टर चंद्रशेखर झा के मुताबिक एक साल से छोटे बच्चों को जूस देना उन्हें कई तरह की बीमारियों का शिकार बना सकता है.
डायरिया से लेकर आंत और दांतों के खराब होने तक की समस्या नन्हें शिशु को हो सकती है. तो चलिए जानें कि आखिर बच्चों को फलों का रस क्यों नहीं देना चाहिए और साबुत फल ही क्यों खिलाना चाहिए. बता दें कि अमेरिकन शिशु अकादमी भी एक साल से छोटे बच्चों को फ्रूट जूस देने से मना करता है और साबुत फल खिलाने कि सिफारिश करता है.
फल खिलाने के बच्चों को मिलते हैं ये फायदे भी
साबूत फल बच्चों को खिलाने में बच्चों को कई तरह की ट्रेनिंग भी मिल जाती है. वह अलग-अलग फलों के आकार, प्रकार और रंगों के बारे में जानकारी हासिल कर लेता है. इसके साथ ही अलग-अलग फलों को कैसे छीलना है, इस बारे में उसकी ट्रेनिंग हो जाती है.
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फलों के रस और साबुत फल में अंतर जान लें
- फलों के रस में विटामिन खनिज तो होते हैं लेकिन साबुत फल में दो और चीजें बच्चों को मिलती हैं. वह है फाइबर और फाइटोकैमिकल्स जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं. ये दो चीजें फलों के रस में नहीं मिलतीं.
- फलों के रस में शुगर यानी फ्रूक्टोज की मात्रा ज्यादा होती है जो बच्चों के लिए कई तरह से नुकसानदायक हो सकती है. जबकि साबुत फल में ये फ्रूक्टोज फाइबर की मौजूदगी के कारण नुकसान नहीं पहुंचाता.
- फलों के जूस में सोर्बिटोल होता है जो कि एक गैर-पाचक शुगर होता है इससे आंतों में रक्त वाहिकाओं से पानी को खींचकर इसे पतला करने की कोशिश करता है इसके कारण डायरिया का खतरा रहता है. सेब, नाशपाती और चैरी के जूस में सोर्बिटोल उच्च मात्रा में होता है और ये आंतों के ऑस्मोटिक लोड बढ़ा देते हैं. जबकि साबुत फल को खाने से ऐसा नहीं होता है.
- फल का रस अगर डायरिया में दिया जाए तो समस्या और गंभीर हो जाती है इसलिए डायरिया में हमेशा इलेक्ट्रॉल या ओआरए पीने की ही सलाह दी जाती है.
- फलों के रस में शुगर ज्यादा होने से दांतों को खराब करने का काम करता है. बच्चों के दूध के दांतों में संक्रमण, कीडे आदि लगने का खतरा फलों के रस से बढ़ता है लेकिन साबुत फल खाने से ये खतरा नहीं होता है.
- पाश्चराइज फलों का रस तो बच्चों को भूल कर भी नहीं देना चाहिए क्योंकि ये रस आंतों के संक्रमण का सबसे बड़ा कारण होते हैं.
- बच्चे अगर साबुत फल खाते हैं तो फाइबर के कारण उनका पेट साफ होता है लेकि फलों का रस बच्चों में ब्लोटिंग का कारण बनता है.
- कुछ मामलों में फ्रूट जूस की वजह से शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया पैदा हो सकता है जिससे बच्चा बीमार पड़ सकता है. उसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्याएं जैसे कि दस्त भी हो सकते हैं. इसलिए बच्चों को हमेशा फल खिलांए
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चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर चंद्रशेखर झा ने बताया कि बच्चों को फल देना अब जरूरी हो गया है क्योंकि उनकी न तो वह फिजिकल एक्टिविटी करते हैं न ही घरों से बाहर जाकर खेलते हैं. उनके खानपान में बहुत पोषक तत्व वाली चीजें भी नहीं रहती हैं, ऐसे में उन्हें साबुत फल और हरी सब्जियों से ही विटानिम, मिनरल्स और फाइबर आदि मिल सकता है और उनका विकास बेहतर हो सकता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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