बीते 50 साल से अमेरिका में महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार था,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही अपना फैसला पलटते हुए बीते 24 जून को उनसे ये अधिकार छीन लिया. इस पर अमेरिका में जहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं पूरी दुनिया में महिलाओं के गर्भपात से जुड़े अधिकारों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. ऐसे में ये जानना और भी जरूरी हो जाता है कि किस देश में गर्भपात को लेकर किस तरह के कानून हैं.
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इराक, मिस्र,सूरीनाम, पौलेंड, माल्टा, फिलीपींस जैसे 26 देश हैं दुनिया में, जहां गर्भपात कराना महिलाओं के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. यहां ऐसा करना पूरी तरह प्रतिबंधित है, फिर चाहे महिला या बच्चे की जान पर ही क्यों ना बन रही हो.
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ब्राजील, ईरान, यूएई, बांग्लादेश जैसे 39 देश हैं जहां महिला की जान पर बन आए या किसी अन्य मुश्किल की वजह से गर्भपात कराया जा सकता है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, सऊदी अरब और थाईलैंड में महिला का स्वास्थ्य ठीक ना होने पर गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है.
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भारत में एक निश्चित अवधि के दौरान कुछ शर्तों के साथ गर्भपात कराया जा सकता है. गर्भपात कराने के लिए मान्यता प्राप्त डॉक्टर से अनुमति होना जरूरी है. इसके लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी यानी एमटीपी अधिनियम 1971 में संशोधन किया गया था. साल 2021 में हुए इस संशोधन के बाद कई मामलों में गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दिया गया है. इसे तीन चरणों के जरिए समझा जा सकता है.
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पहला चरण: 0-20 हफ्ते
इस चरण में गर्भपात कराने के लिए कारण ये हो सकते हैं कि महिला मानसिक रूप से तैयार नहीं है, या फिर गर्भनिरोधक लिया औऱ वो फेल हो गया, ऐसी स्थिति में गर्भपात कराया जा सकता है. दूसरा चरण:20-24 हफ्ते
दूसरे चरण में गर्भपात कराने के लिए मां और बच्चे की सेहत को खतरा एक अहम कारण बनता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर की अनुमति से गर्भपात करा सकते हैं. तीसर तरण: 24 हफ्ते बाद
24 हफ्ते बाद गर्भपात कराने के पीछे अहम वजह होना जरूरी है- महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हो, यदि इस दौरान तलाक हो जाए या विधवा हो जाए या कोई महिला इस दौरान किसी मानसिक या शारीरिक समस्या का शिकार हो जाए, या फिर यदि बच्चे में ऐसी किसी कमी का पता चल जाए जिससे जन्म के बाद उसका जीवन मुश्किल हो, या इस प्रेगनेंसी की वजह से मां की जान को खतरा हो, नाबालिग और मानसिक विक्षिप्त महिलाओं की स्थिति में गर्भपात के लिए अभिभावकों की मर्जी होना जरूरी है. 24 हफ्ते के बाद गर्भपात का फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता है. इसके जरिए ही गर्भपात की इजाजत मिलती है.
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यदि ठोस वजह ना होने पर भी गर्भपात कराया जाता है तो पकड़े जाने पर 3 साल की सजा हो सकती है. यदि इसमें महिला की सहमति नहीं है तो दोषी को 10 साल या उम्र कैद की भी सजा हो सकती है.
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कनाडा, चीन और रूस ऐसे देश हैं जहां महिलाएं अपनी मर्जी और पूरे हक से कभी भी गर्भपात करा सकती हैं.