‘है’ से ‘था’ हो जाना जिंदगी का सबसे कड़वा और दुखदायी सत्य है
सच दो तत्वों से बनते हैं. वे हैं- समय और स्थान. इन्हीं दोनों से हम सबकी ज़िंदगी के बनने या बिगड़ने की, सुख या दुख की, जन्म और मृत्यु की अनगिनत कहानियां बनती हैं. और फिर जिंदगी ऐसी लिखी-अनलिखी कहानियों की किताब बन जाती है.