डीएनए हिंदीः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत की छपरौली सीट आरएलडी (RLD) का गढ़ मानी जाती है. किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) यहां से विधायक रहे. उन्होंने इस सीट को आरएलडी के लिए अभेद किले जैसा बना दिया. छपरौली से ही विधायक रहते हुए ना सिर्फ वह मुख्यमंत्री बने बल्कि बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने. पिछले चुनाव में इस सीट पर जीत का अंतर काफी कम रहा. 2017 के चुनाव में रालोद के टिकट पर ही 3800 वोटों से जीतकर आए सहेंद्र सिंह रमाला ने बाद में भाजपा (BJP) का दामन थाम लिया इसलिए विधायक तो अभी बीजेपी के ही हैं, लेकिन चुनाव में बीजेपी को एक बार भी जीत नहीं मिली है.
रालोद का रहा है कब्जा
बागपत को पहले रालोद का अभेद किला कहा जाता था. वहीं पिछले दो विधानसभा चुनाव से यह गढ़ टूट रहा है. बागपत व बड़ौत सीट वर्ष 2012 में बसपा के खाते में पहुंच गई तो वर्ष 2017 में दोनों सीटों पर कमल खिला. इसके बाद भी छपरौली के वोटर अड़े रहे और दोनों बार रालोद का विधायक बनाया. रालोद के लिए जीत का सबसे बड़ा आधार जाट-मुस्लिम रहा है.
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2017 में ये रहे नतीजे
प्रत्याशी | पार्टी | वोट | जीत का अंतर |
सहेंद्र सिंह रमाला | आरएलडी | 65124 | 3842 |
सतेन्द्र सिंह | बीजेपी | 61282 | |
मनोज चौधरी | सपा | 39841 | |
राजबाला | बसपा | 30241 |
क्या है जातिगत समीकरण
छपरौली सीट की बात करें तो यहां जाट वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. यह जिसके भी पाले में जाते हैं उसकी जीत तय मानी जाती है. यहां जाट वोटरों की संख्या करीब 1 लाख 30 हजार है. वहीं यहां मुस्लिम वोटर 60 हजार, कश्यप वोटर 25 हजार, दलित वोटर 20 हजार और गुर्जर वोटरों की संख्या 15 हजार है.
कौन-कौन कब रहा विधायक
वर्ष विधायक
1977 तक चौधरी चरण सिंह
1977 नरेंद्र सिंह
1980 सरोज देवी
1988 नरेंद्र सिंह
1989 नरेंद्र सिंह
1991 प्रो. महक सिंह
1993 नरेंद्र सिंह
1998 गजेंद्र मुन्ना
2000 अजय कुमार
2007 डा. अजय तोमर
2012 वीरपाल राठी
2017 सहेंद्र सिंह रमाला
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