अपनी जगह : पटना के एक विस्थापित की टिप्पणी

जगत नारायण रोड से लेकर अशोक राजपथ के इलाक़े में पढ़ा, बड़ा हुआ और मंसूबा बांधते-बांधते बग़ैर किसी को जाने-पूछे मुंह उठाकर एक दिन दिल्ली चला गया.