बेबाक, बेधड़क थे जुगनू शारदेय

जुगनूजी दरअसल उस दौर के पुरस्कार थे जब अरुण रंजन भी प्रकाश में नहीं आये थे. तब लालू नीतीश सुशील मोदी छात्र नेता थे.