नारायणराम मास्साब की उस्तादी देखकर ब्रिगेडियर हैनरी भी कायल हुए

वह अंग्रेजों के ज़माने के टेलर थे और 1947 से पहले रानीखेत छावनी के बड़े और गोरे अफसरों की वर्दियां और सूट सिया करते थे.