Kinnar Akhara Mahakumbh 2025: महाकुंभ के अवसर पर प्रयागराज में साधु संतों के तमाम अखाड़े मेले की शोभा बढ़ाते हैं. महाकुंभ के मौके पर साधुओं के अखाड़ों के साथ ही महिला साधुओं के अखाड़े भी देखने को मिलते हैं. इन सभी के साथ ही एक किन्नरों का अखाड़ा भी है जो बेहद खास और सबसे अलग है.
साधु संतों के अखाड़ों की तरह ही यह किन्नर अखाड़ा है. इसे सभी किन्नर शामिल हैं. इन किन्नर अखाड़ों के किन्नर अपने-अपने आराध्य का पूजन हिंदू पूजा पद्धति से करते हैं. किन्नर अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अधीन आता है. आइए आपको बताते हैं कि, किन्नर अखाड़े को कब और कैसे पहचान मिली.
2018 में स्थापित हुआ था किन्नर अखाड़ा
किन्नर अखाड़े की स्थापना साल 2018 में की गई थी. यह अखाड़ा 2019 के प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान दिखाई दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 के कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ों में काफी भीड़ थी. किन्नर समुदाय के देशभर में कई अखाड़े हैं.
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देशभर में किन्नरों के 13 अखाड़े
किन्नर अखाड़ा की एक सदस्य साध्वी सौम्या के अनुसार, देशभर में किन्नरों के 13 अखाड़े हैं. इन अखाड़ों में किन्नर अलग-अलग भगवान की पूजा करते हैं. इन अखाड़ों में विष्णु भगवान को मानने वाला किन्नर अखाड़ा, शिव जी को मानने वाला किन्नर अखाड़ा और गुरु नानक देव को मानने वाला किन्नर अखाड़ा शामिल है.
क्यों किया गया था किन्नर अखाड़ों का गठन?
किन्नर अखाड़ा की सदस्य के अनुसार, किन्नर समुदाय के भटके हुए लोगों को सही राह दिखाने के लिए इन अखाड़ों को बनाया गया था. 2019 कुंभ मेले में लोगों ने किन्नरों से खूब आशीर्वाद लिया था.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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बेहद खास और सबसे अलग है किन्नर अखाड़ा, जानें कब और कैसे मिली इसे पहचान