1971 war Indira Gandhi statement: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए सीजफायर की घोषणा कर दी गई है. हालांकि, पाकिस्तान अब भी अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. सीजफायर की घोषणा के बाद भी पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया. भारत पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति को देखते हुए लोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद कर रहे हैं. साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व को देश एक बार फिर याद कर रहा है. साथ ही कांग्रेस समर्थक भी उनके पुराने वीडियो शेयर करके पीएम मोदी से सवाल कर रहे हैं. 

पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने एक्स पर लिखा,  'जो नेता 'अमेरिकी दबाव के आगे झुक रहे हैं' उन्हें इंदिरा गांधी के साहस को याद रखना चाहिए.'  श्रीनिवास ने लिखा, 'अमेरिका ने इंदिरा गांधी पर भी दबाव बनाया था; धमकियां दी गईं और चेतावनी दी गई कि अगर भारत ने कोई कदम आगे बढ़ाया तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे, लेकिन इंदिरा गांधी न रुकीं, न झुकीं और न ही डरीं. उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत की सीमाओं और सम्मान की रक्षा किसी भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव से ऊपर है. नतीजा- 1971 में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया और बांग्लादेश बना दिया.'

नवबर 1971, जब भारत-पाक तनाव अपन चरम पर था, अमारका राष्ट्रपाति निक्सन ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा था, 'अगर भारत ने पाकिस्तान के मामलों में दखल दिया, तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा. भारत को सबक सिखाया जाएगा.' लेकिन इंदिरा गांधी ने व्हाइट हाउस में रिचर्ड निक्सन की आंखों में आंखें डालकर दृढ़ता से जवाब दिया, 'भारत अमेरिका को मित्र मानता है, मालिक नहीं. भारत अपनी तकदीर खुद लिखने में सक्षम है. हम जानते हैं कि हालात के अनुसार किससे कैसे निपटना है.' इस साहसिक बातचीत का जिक्र तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने अपनी आत्मकथा में किया है, जहां उन्होंने इंदिरा गांधी के आत्मविश्वास और दृढ़ता की सराहना की.


यह भी पढ़ें - India Pakistan conflict: Ceasefire की रात भारत-पाकिस्तान के बीच क्या-क्या हुआ, 5 पॉइंट्स में जानें


इंदिरा गांधी का वायरल वीडियो

क्या था 1971 का भारत-पाक युद्ध

1971 का भारत-पाक युद्ध एक ऐतिहासिक सैन्य संघर्ष था, जो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हो रहे दमन और मानवाधिकार हनन के विरोध में शुरू हुआ. इस युद्ध में इंदिरा गांधी की भूमिका निर्णायक और असाधारण रही. उन्होंने शरणार्थियों की पीड़ा को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया और दुनिया को पूर्वी पाकिस्तान में हो रही क्रूरता से अवगत कराया. जब कूटनीतिक प्रयास विफल हुए, तो उन्होंने दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया. भारतीय सेना ने महज 13 दिनों में पाकिस्तान को पराजित कर दिया और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो अब तक का सबसे बड़ा सैन्य सरेंडर माना जाता है. इस जीत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म दिया और इंदिरा गांधी को विश्व मंच पर एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया. इस युद्ध ने उन्हें 'दुर्गा' की उपाधि दिलाई और भारतीय राजनीति में एक महिला के रूप में उनकी निर्णायक शक्ति का प्रतीक बन गया. 

 

अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से जुड़ें.

Url Title
Indira Gandhi reply to America threat India is not afraid of anyone then the biggest surrender in history happened
Short Title
अमेरिका की धमकी पर Indira Gandhi का जवाब- 'हिंदुस्तान किसी से नहीं डरता...'
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
इंदिरा गांधी
Date updated
Date published
Home Title

अमेरिका की धमकी पर Indira Gandhi का जवाब- 'हिंदुस्तान किसी से नहीं डरता...',  फिर हुआ इतिहास का सबसे बड़ा सरेंडर

Word Count
552
Author Type
Author