डीएनए हिंदी: Sikkim Flash Floods- सिक्किम में तबाही मच गई है. चीन की सीमा से सटे इस राज्य में तबाही का कारण पड़ोसी देश की दुश्मनी भरी हरकत नहीं है बल्कि ये तबाही प्राकृतिक आपदा से मची है, जिसके लिए अमूमन इंसान यानी हम ही जिम्मेदार हैं. कुदरत के आगे किसी की नहीं चलती. कुदरत जब अपना कहर दिखाती है तो इंसान बेबस और असहाय हो जाता है. वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता. सिक्किम में झील के ऊपर बादल फटने के बाद आई तबाही भी इसका ही एक ट्रेलर है.

दरअसल, सिक्किम में बीती रात ल्होनक झील के ऊपर अचानक बादल फटने से तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई. पानी इतनी तेज़ी से आया कि कई इलाकों में घुस गया. जिस वक्त ये तबाही आई उस वक्त ज्यादातर लोग नींद में थे. इसलिए उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला. देखते ही देखते कई पुल बह गए, सड़कें बह गईं. बादल फटने से तीस्ता नदी में 15 से 20 फीट तक पानी बढ़ गया. बारदांग इलाके में बाढ़ के पानी में सेना के जवान और गाड़ियां भी बह गईं.

रात डेढ़ बजे मची थी जल सैलाब से तबाही

अब आपको वो बताता हूं, जिससे आपको अंदाजा होगा कि फ्लैश फ्लड के बाद कैसे अचानक से चारों तरफ तबाही फैली. बताया जा रहा है कि रात करीब डेढ बजे ल्होनक झील के ऊपर बादल फटा था. इसके बाद लाचेन घाटी में तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई. नदी से लगे इलाके में ही सेना का कैंप है, जो बाढ़ की चपेट में आने के बाद बह गया. इस कैंप में तैनात रहे सेना के 23 जवान लापता हैं. 7 लोगों की अब तक मौत की खबर आई है. ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने से चुंगथांग बांध से पानी छोड़ना पड़ा, जिसके बाद निचले इलाके डूबने लगे और तबाही फैलती गई. यहां सिंगताम के पास बारदांग में खड़े सेना के वाहन भी बह गए. ISRO ने झील की सैटेलाइट इमेज जारी की हैं, जिनमें बादल फटने से पहले, बीच में और झील का सारा पानी बह जाने के बाद की स्थिति दिख रही है. झील से जब पानी नीचे आया, तब वो अपने साथ ढेर सारा मलबा और पत्थर भी लेकर आया. हरे रंग में दिखने वाली तीस्ता नदी पीले और मटमैले रंग में बहने लगी. 

ग्लेशियर झील कैसे तबाही मचा रही हैं, वो अब मैं आपको सरल शब्दों में समझाता हूं.

  • साउथ ल्होनक झील सिक्किम के हिमालय क्षेत्र के उन 14 Glacier Lakes में से एक है, जिनके फटने का खतरा पहले से था.
  • इस झील को Glacier Lake Outburst Flood यानि GLOF के प्रति बेहद संवेदनशील बताया गया था.
  • इस झील का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता जा रहा था. क्योंकि global warming की वजह से ल्होनक Glacier पिघलता जा रहा है.
  • पिघलते Glacier से निकला पानी इसी झील में जमा हो रहा था, लेकिन इसकी दीवारें इतने सारे पानी का दबाव नहीं सह पा रही थीं.
  • इसी कारण बीती रात जब झील के ऊपर बादल फटा तो पानी के दबाव से उसकी दीवारें टूट गईं और तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई.

ISRO

सिक्किम से आईं तस्वीरें डरा रही हैं

सिक्किम में हुई तबाही की जो तस्वीरें आई है वो बेहद डरावनी है. इन तस्वीरों को देखकर आपको भी अंदाजा हो जाएगा कि तबाही कितनी बड़ी है. सिक्किम के कई इलाकों में हालात अभी भी बेहद खराब है, लगातार हो रही बारिश ने मुश्किलों को बढ़ा दिया है. NDRF की कई टीमें rescue operation में जुटी हुई है ताकि फंसे हुए लोगों को निकाला जा सके, लापता लोगों को ढूंढा जा सके. 

क्या नजर आया तबाही का सैलाब आने पर

प्रत्यक्षदर्शियों ने तबाही का जो मंजर बयान किया है, वो बेहद भयानक है. लोगों ने बताया कि सैलाब के आगे जो आया वो बहने लगा. जहां तक नजरें जा रही थीं सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा था. रात में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने के बाद चुंगथांग बांध से पानी छोड़ा गया था, लेकिन ये पानी काल बनकर आया.

सिक्किम के रंगपो में अब सिर्फ अजीब सा सन्नाटा और चारों तरफ पानी है. बाढ़ के पानी का रंगपो पर मानो कब्जा हो गया है. गाड़ियां पानी में डूब गई हैं. बाढ़ का पानी घरों की पहली मंजिल तक कब्जा कर चुका है. सिक्किम से जो वीडियो आ रहे हैं, उनमें तबाही साफ-साफ नजर आ रही है. हर तस्वीर में कुदरत का कहर दिख रहा है. इस वीडियो को देखिए, जिसमें पानी के बीचों बीच एक इंसान असहाय खड़ा है. जान बचाने के लिए मदद मांग रहा है. 

सिंगताम में भी नदी उफान पर है. ऐसा लग रहा है पानी हर चीज़ पर कब्जा कर लेना चाहता है. नदी के साथ बह रही सड़क का पूरा हिस्सा पानी में समा गया है. प्रशासन ने तीस्ता नदी के आसपास के इलाके जलपाईगुड़ी, मेखलीगंज में रह रहे लोगों के लिए चेतावनी जारी की है. लोगों से अपील की जा रही है कि वो नदी के पास ना जाएं.

4 हजार से ज्यादा लोगों को किया गया है रेस्क्यू

सिक्किम में बिगड़े हालात के बीच सीएम प्रेम सिंह तमांग भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत-बचाव का जायजा लेने पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज़ करने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF की 3 टीमें लगी हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद अब तक 4 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है. हालाकि अब भी सिक्किम और पश्चिम बंगाल में मौसम खराब है. भारी बारिश की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. मौसम विभाग के मुताबिक, सिक्किम में सबसे ज़्यादा 12cm बारिश दर्ज हई है. बिगड़े हालात के बीच सिलीगुड़ी से सिक्किम जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया है. सिलीगुड़ी से कलिम्पोंग जाने वाली सड़क भी बंद है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं. कुदरत के कहर ने सिक्किम को कभी ना भूलने वाला दर्द दिया है.

अब क्यों ज्यादा आने लगी हैं आपदाएं

प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए जल, जंगल, वन्य जीव और वनस्पति, इन सभी का संरक्षण जरूरी है. लेकिन आप खुद सोचिए, क्या हम ऐसा कर रहे है. पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन की वजह से कही बाढ़ है तो कहीं सूखा है. आपने भी इस पर ध्यान दिया होगा कि अब प्राकृतिक आपदा ज्यादा आती हैं. भारत में भी इस वर्ष कुदरत ने कई बार कहर ढाया है.

  • 22 जुलाई को शिमला में बादल फटा था, जिसकी वजह से चंबा-पठानकोट नेशनल हाइवे पर landslide हुआ था.
  • इसी वर्ष 25 जुलाई को शिमला के रामपुर में बादल फटने से कंदार गांव में मकान और मवेशी बह गए थे.
  • इसी वर्ष 24 अगस्त को मंडी में बादल फटने से 51 लोग फंस गए थे. मंडी में भी भीषण तबाही हुई थी.

Climate change का असर अब साफ साफ नजर आने लगा है. हम सब अपनी पृथ्वी को बचाने की बातें तो करते हैं, लेकिन क्या हम सच में इसको लेकर गंभीर है. इस विश्लेषण का अंत इसी सवाल के साथ कर रहा हूं. एक बार सोचिए जरूर.

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DNA TV Show: सिक्किम में अचानक आई आपदा, क्यों ग्लेशियर लेक बन रही हैं लगातार काल
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