डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की बढ़ती मांग के बीच कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का उछाल आया है और सोमवार को शेयर बाजार में तेजी से गिरावट दर्ज़ हुई है. ब्रेंट कच्चा तेल सोमवार तड़के कुछ समय के लिए 10 डॉलर बढ़कर लगभग 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगतार क्रूड आयल की कीमत रूस और यूक्रेन के युद्ध और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण बढ़ रही हैं.

रिकॉर्ड स्तर पर कच्चे तेल के दाम

वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी से बढ़ कर 126.51 डॉलर प्रति  बैरल पर पहुंच चुका है. फीसदी के हिसाब से देखें तो कच्चा तेल के इन दोनों वेरिएंट में यह मई 2020 के बाद की सबसे बड़े सत्तर पर है. रविवार को कारोबार शुरू होने के चंद मिनटों में ही क्रूड ऑयल और (WTI) दोनों ने  जुलाई 2008 के बाद के  सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गए. जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. आंकड़ों की मानें तो लगातार कच्चे तेल की कीमतों में हो रहे इज़ाफ़े का सीधा असर आम लोगो की जेब पर पड़ने वाला है. इस लगातार हो रही बढ़त घर खर्च से ले कर आम ज़िन्दगी में एक बड़ा प्रभाव डालने वाली है.

क्या है क्रूड ऑयल के महंगे होने के मुख्य कारण

यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कई देशो ने  कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं और अब अमेरिका और यूरोपीय देश रूसी तेल व गैस (Russian Oil&Gas) पर भी बैन लगाने की तैयारी कर रहे हैं. रूस संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. जनवरी 2022 में, रूस का कुल तेल उत्पादन 11.3 mb/d था जिसमें से 10 mb/d कच्चा तेल, 960 kb/d कंडेनसेट और 340 kb/d NGL था. रूस ग्लोबल मार्केट में तेल का दुनिया का सबसे बड़ा  निर्यातक और सऊदी अरब के बाद दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक देश है. दिसंबर 2021 में रूस ने  7.8 mb/d का निर्यात किया जिसमें से क्रूड और कंडेनसेट का हिस्सा 5 mb/d या 64 फीसदी था.

ईरान की तरफ देख रहे देश

अचानक बढ़ी क्रूड आयल की कीमतों से कई देशो ने ईरान (Iran) की तरफ रुख करने का सोच रहे हैं. 2015 के परमाणु समझौते से पहले ईरान प्रति दिन 3.8 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता था. वहीं बाद में यह 1.9 मिलियन बैरल तक कम हो गया और आज के समय में यह लगभग 2.4 मिलियन बैरल है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण गिरावट के साथ-साथ काम होते निवेशकों के कारण ईरान के प्रोडक्शन को पहले के स्तर पर लौटने में समय लगेगा. हालांकि ईरान के पास तेल और गैस का भरपूर भंडार है।   रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर ईरान अप्रैल से मई तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हर  दिन 500,000 बैरल तक तेल भेज सकता है और इस साल के अंत तक यह आंकड़ा 1.3 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच सकता है.

अमेरिका -ईरान के साथ न्यूक्लियर डील संभव

रूस पर प्रतिबंधों का ईरान के साथ संभावित परमाणु समझौते से कोई लेना-देना नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को  कहा कि रूस के ऊपर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ईरान के साथ संभावित डील  से की लेना -देना नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल के इम्पोर्ट पर बैन लगाने के उपाय तलाश रहे हैं.

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भारत में बढ़ सकती है महंगाई

अगर लगातार क्रूड आयल ऐसे ही बढ़ता रहा तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत जैसे देश होंगे जो लगभग 85 फीसदी तेल आयात पर निर्भर है. इससे भारत का इम्पोर्ट बिल भी मोटा होता जाएगा. वहीं विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आने का खतरा बना हुआ है. इसके चलते देश में स्पलाई चेन पर भी बुरा असर पड़ सकता है जिससे प्रत्येक वस्तु के दामों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है.

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Russia-Ukraine War: Crude oil reaches the highest price in 14 years, what will be the effect on your pocket
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रिकॉर्ड स्तर पर महंगा हुआ क्रूड ऑयल
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