डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद (Moradabad) का इतिहास काफी पुराना रहा है. इसकी पहचान आज के समय पीतल नगरी के रूप में होती है. पहले यह चौपला के नाम से जाना जाता था. मुगल सग्राट शाहजहां के बेटे मुराद बख्स ने इस क्षेत्र को अपने अधीन ले लिया और इसका नाम मुरादाबाद हो गया. इस जिले में विधानसभा की 5 सीटें हैं. इनमें से अधिकतर को सपा का गढ़ माना जाता है. बात मुरादाबाद ग्रामीण विधानसभा (Moradabad Rural Assembly Seat) सीट की करें तो यह सपा का गढ़ रही है. बीजेपी इस सीट पर सिर्फ एक बार जीत दर्ज कर पाई है. वहीं सपा लगातार तीन बार से इस सीट पर कब्जा करने में सफल रही है.
क्या है जातिगत गणित
मुरादाबाद ग्रामीण विधानसभा सीट को मुस्लिम मतदाता बहुल माना जाता है. यहां कुल 3,05,396 मतदाता हैं, जिनमें 1,70,000 से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है. इनमें अंसारी मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. जबकि इसके बाद इस सीट पर हिंदू मतदाताओं की संख्या है. ऐसे में इस सीट पर जीत उसी को मिलती है जिसके साथ मुस्लिम मतदाता होते हैं.
2017 में ये रहे नतीजे
प्रत्याशी | पार्टी | वोट | जीत का अंतर |
हाजी इकराम कुरैशी | सपा | 97916 | 28781 |
हरिओम शर्मा | बीजेपी | 69135 | |
मो. कमरनूल हक | रालोद | 23404 | |
पन्नालाल उर्फ बबलू सैनी | बसपा | 20054 |
बीजेपी सिर्फ एक बार जीती
इस सीट पर अधिकर मुस्लिम मतदाताओं को ही जीत मिली है. 2002 के चुनाव में कांग्रेस के शमिमुल हक ने जीत दर्ज की थी. वहीं 1996 के चुनाव में सपा के सौलत अली ने जीत दर्ज की. वहीं 1993 में बीजेपी के सुरेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की. जबकि इससे पहले हुए 1991, 1989 और 1985 के चुनावों में जेडी के मो. रिजवानुल हक ने जीत दर्ज की थी.
सपा और बीजेपी में होती है सीधी टक्कर
पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो यहां सपा और बीजेपी के बीच ही सीधी टक्कर रही है. लगातार तीन बार से इस सीट पर सपा को जीत मिल रही है और बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है. 2017 में सपा के हाजी इकराम कुरैशी ने बीजेपी के हरिओम शर्मा को 28 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा कर जीत दर्ज की थी.
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